Person feeling overwhelmed but not asking for help

क्यों हम मदद माँगने में झिझकते हैं? सुझाव और मनोवैज्ञानिक कारण

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Written by Labid

05/12/2025

हम सबने अपने आसपास ऐसे लोगों को देखा है जो कितनी भी बड़ी परेशानी क्यों न हो, किसी से “मदद” नहीं मांगते। बाहर से वे बहुत मज़बूत और आत्मनिर्भर लगते हैं, लेकिन भीतर कई भावनाएँ, डर और पुराने अनुभव छिपे होते हैं।
इस ब्लॉग का उद्देश्य ये समझना है कि क्यों कुछ लोग कभी सहायता नहीं मांगते, वे ऐसा करते समय वास्तव में क्या महसूस करते हैं और उनकी मनोवृत्ति किस तरह काम करती है।

1. कमज़ोर दिखने का डर (Fear of Vulnerability)

बहुत से लोगों के लिए मदद माँगना एक तरह से अपनी कमज़ोरी दिखाना लगता है।
उन्हें लगता है कि अगर वे सहायता मांगेंगे तो दूसरे उन्हें पूरा या सक्षम नहीं समझेंगे।
कई बार बचपन से ही यह सीख दी जाती है कि “मजबूत लोग रोते नहीं” या “अपना काम खुद करो।” ऐसे संदेश धीरे-धीरे दिमाग में जम जाते हैं और व्यक्ति vulnerability से बचने लगता है।

वे मन ही मन सोचते हैं:

  • “मुझे सक्षम दिखना है।”
  • “दूसरों पर निर्भर होना ठीक नहीं।”
  • “अगर मैंने पूछा और उन्होंने मना कर दिया तो?”

इस डर के चलते व्यक्ति मदद मांगना टालता रहता है, चाहे अंदर ही अंदर वह थका हुआ या परेशान क्यों न हो।

2. अत्यधिक आत्मनिर्भरता (Over Self-Reliance)

कुछ लोगों ने जीवन में ऐसा समय देखा होता है जहाँ उनके पास कोई सहारा नहीं होता। ऐसे अनुभव उन्हें सिखा देते हैं कि सिर्फ खुद पर भरोसा करना ही सुरक्षित है
इस कारण वे धीरे-धीरे हर छोटी-बड़ी जिम्मेदारी अपने सर लेने लगते हैं।
यह आदत उन्हें मजबूत तो बनाती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर सहायता लेना मुश्किल भी बना देती है।

इस सोच के कारण:

  • जिम्मेदारी बाँटने में हिचक
  • हर समाधान खुद ढूँढने का दबाव
  • कंट्रोल खोने का डर
  • यह विश्वास कि “दूसरा वैसे मदद नहीं करेगा जैसे मैं चाहता हूँ”

इसी वजह से, जब स्थिति कठिन भी हो जाए, वे फिर भी “मैं खुद कर लूँगा” ही कहते हैं।

3. अस्वीकार किए जाने का डर (Fear of Rejection)

बहुत से लोग इस वजह से मदद नहीं मांगते क्योंकि उन्हें ना सुनने का डर होता है

बहुत से लोग इस वजह से मदद नहीं मांगते क्योंकि उन्हें ना सुनने का डर होता है।
उनके लिए “नहीं” सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक तरह की चोट की तरह महसूस होता है—जैसे उनकी अहमियत कम हो गई।

ऐसे लोग अक्सर:

  • छोटी-छोटी बातों पर भी ज़्यादा सोचते हैं
  • दूसरों की प्रतिक्रिया से डरते हैं
  • किसी संभावित “ना” से बचने के लिए चुप रहना चुनते हैं
  • रिश्तों में अधिक सावधान रहते हैं

कई बार अस्वीकार का यह डर उनके आत्मविश्वास से भी जुड़ा होता है, जिससे help माँगना और कठिन बन जाता है।

अक्सर सहायता न माँगने की एक वजह यह भी होती है कि हम डरते हैं कि लोग हमें गलत समझ लेंगे। अगर आप इस डर के कारणों को गहराई से समझना चाहते हैं, तो यह लेख मदद करेगा — कहीं कोई गलत न समझ ले — ऐसा क्यों होता है?

4. पुराने अनुभव (Past Disappointments & Trust Issues)

अगर किसी व्यक्ति ने पहले मदद माँगकर निराशा झेली हो—जैसे किसी ने साथ न दिया हो, हँसी उड़ाई हो या उनकी भावना को हल्का कर दिया हो—तो इसका गहरा असर होता है।
ऐसे अनुभव व्यक्ति के दिमाग में एक सीख की तरह बैठ जाते हैं:

“लोग भरोसे के लायक नहीं हैं।”

इसलिए भले ही कोई नया व्यक्ति सच में मदद करना चाहता हो, वे अपने पुराने अनुभवों की वजह से खुलकर भरोसा नहीं कर पाते।

आम कारण:

  • बचपन में भावनात्मक सहारा न मिलना
  • दोस्तों या रिश्तेदारों द्वारा अनदेखा किया जाना
  • कार्यस्थल पर तिरस्कार का अनुभव
  • रिश्तों में धोखा

इन घटनाओं के कारण व्यक्ति अपनी जरूरतें छुपाना सीख जाता है।

5. मजबूत दिखने की आदत (Maintaining a Strong Image)

कुछ लोग अपने आसपास एक छवि बना लेते हैं—हमेशा शांत, सक्षम और नियंत्रित।
वे सोचते हैं कि अगर उन्होंने सहायता माँग ली तो यह छवि टूट जाएगी।

उनके भीतर ये भावनाएँ चलती रहती हैं:

  • “मुझे परिपूर्ण दिखना है।”
  • “मैं दूसरों का सहारा हूँ, मैं कैसे मदद माँगूँ?”
  • “अगर मैंने कमजोरी दिखाई तो लोग मेरे बारे में बदल जाएंगे।”

समाज और परिवार से मिलने वाली अपेक्षाएँ भी इस भावना को और मजबूत बना देती हैं।

6. भावनाओं को दबाना (Emotional Suppression)

कुछ लोगों के जीवन में भावनाओं पर बात करना सिखाया ही नहीं गया होता।
वे दर्द, तनाव और असहजता को अंदर ही अंदर सहन करना सीख लेते हैं।
धीरे-धीरे उन्हें यह महसूस ही नहीं होता कि वे भी मदद के हकदार हैं।

ऐसे लोगों में आम आदतें:

  • “मैं ठीक हूँ” कहना—even जब वे ठीक न हों
  • अपने मन की बातें न बताना
  • दूसरों के लिए हमेशा उपलब्ध रहना लेकिन खुद कुछ न कहना
  • भावनाओं की महत्ता कम आंकना

इस कारण help माँगना उनके स्वभाव का हिस्सा ही नहीं बन पाता।

7. इस आदत के प्रभाव (Impact of Not Asking for Help)

लंबे समय तक सहायता न माँगना कई मानसिक और सामाजिक असर छोड़ सकता है।

संभावित प्रभाव:

  • लगातार तनाव और थकान
  • मानसिक बोझ बढ़ना
  • अकेलापन गहराना
  • रिश्तों में दूरी
  • काम का ओवरलोड
  • खुद के प्रति कठोरता

अक्सर ऐसा व्यक्ति बाहर से शांत और सामान्य दिखता है, लेकिन भीतर बहुत सा दबाव लिए चलता है।

8. ऐसे लोगों को कैसे समझें और मदद करें? (How to Support Them)

यदि आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है जो कभी सहायता नहीं मांगता, तो उन्हें थोड़ी समझ और धैर्य की जरूरत होती है।

आप ये कर सकते हैं:

  • बिना जज किए उनसे बात करें
  • सीधे पूछने के बजाय हल्के-फुल्के तरीके से मदद ऑफर करें
  • उन्हें भरोसा दिलाएँ कि माँगना बिल्कुल सामान्य है
  • छोटे-छोटे काम शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करें
  • उनकी भावनाओं को हल्का न समझें
  • उनके pace को सम्मान दें—trust धीरे-धीरे बनता है

कभी-कभी सिर्फ यह बताना कि “तुम अकेले नहीं हो” भी बहुत राहत देता है।

यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक और सामान्य मनोवैज्ञानिक अवलोकनों पर आधारित है। किसी विशिष्ट व्यक्ति, घटना या परिस्थिति से इसका कोई वास्तविक संबंध नहीं है।

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I’m Abu Labid, a lifestyle writer from India exploring how philosophy, psychology, and everyday life intertwine.
Through DesiVibe, I share reflections on self-growth, mindfulness, and balance — inviting readers to slow down, reflect, and reconnect with what truly matters.

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