एक साधारण लड़की की असाधारण मुस्कान
पटना की गलियों में रोज़ हज़ारों चेहरे दिखते हैं — कुछ थके हुए, कुछ उम्मीदों से भरे, और कुछ जो मुस्कुरा तो रहे होते हैं पर भीतर से टूटे हुए।
इन्हीं चेहरों में से एक थी प्रिया, एक 27 साल की लड़की जो बाहर से तो हमेशा हँसती रहती थी, पर अंदर बहुत कुछ दबा लिया करती थी।
लोग कहते थे — “प्रिया, तुम कितनी खुशमिज़ाज हो!”
पर उसे पता था कि उसकी हँसी कई बार बस एक नकाब थी।
वो सबको खुश रखती थी — दोस्तों को, परिवार को, दफ्तर के लोगों को — पर खुद को भूल चुकी थी।
🌼 दूसरों को खुश करने की दौड़
प्रिया हमेशा ये मानती थी कि अगर सब उससे खुश रहेंगे, तो उसे भी सुकून मिलेगा।
इसलिए वो अपनी पसंद, अपनी ज़रूरतें, यहाँ तक कि अपनी थकान तक को नज़रअंदाज़ कर देती थी।
ऑफिस में किसी को मदद चाहिए होती — वो सबसे पहले हाँ कह देती।
घर में कोई नाराज़ होता — वो मनाने पहुँच जाती।
दोस्तों की हर छोटी-बड़ी परेशानी में वो ही सबसे आगे रहती।
लेकिन धीरे-धीरे, वो खुद से दूर होती चली गई।
रात को जब वो अकेली होती, तो सोचती — “सब खुश हैं, पर मैं क्यों खाली महसूस करती हूँ?”
उसे समझ नहीं आ रहा था कि दूसरों को खुश करते-करते उसने खुद को थका दिया था।
🌿 टूटने के बाद संभलना

एक दिन प्रिया का सबसे करीबी दोस्त बोला,
“तू सबके लिए इतनी कोशिश करती है, पर जब तुझे रोना आता है तो तेरा कोई नहीं होता।”
वो बात प्रिया के दिल में तीर की तरह लगी।
उसने पहली बार खुद से पूछा —
“क्या मैं सच में खुश हूँ? या बस दिखा रही हूँ?”
उस रात प्रिया बहुत रोई।
लेकिन उसी रात कुछ बदल गया —
उसने तय किया कि अब वो खुद के लिए जिएगी, न कि दुनिया की उम्मीदों के लिए।
💖 खुद को खुश करने का सफर
अगली सुबह उसने कुछ छोटा लेकिन बड़ा कदम उठाया।
वो बालकनी में बैठी, चाय पीते हुए सूरज को देखा — शायद महीनों बाद पहली बार उसने आसमान को महसूस किया था।
वो अब हर दिन अपने लिए कुछ करती —
कभी अपनी पसंदीदा किताब पढ़ती,
कभी बिना गिल्ट के बाहर कॉफी पीने जाती,
कभी बस खुद से बातें करती।
धीरे-धीरे, उसे महसूस हुआ कि जब उसने खुद से प्यार करना शुरू किया,
तो ज़िंदगी ने भी मुस्कुराना शुरू कर दिया।
ऑफिस में अब वो ‘ना’ कहना भी सीख गई थी।
वो जान गई थी कि खुद की खुशी कोई selfishness नहीं, बल्कि self-respect है।
🌞 चेहरे की असली चमक

कुछ हफ़्तों बाद, उसकी एक सहकर्मी ने कहा —
“प्रिया, आजकल तुम्हारे चेहरे पर एक अलग सी चमक है।”
वो मुस्कुरा दी —
“शायद इसलिए क्योंकि अब मैं किसी को impress नहीं कर रही… बस खुद को खुश रख रही हूँ।”
अब उसके चेहरे की चमक किसी expensive skincare का नतीजा नहीं थी,
वो inner peace और self-love की रोशनी थी।
प्रिया ने समझ लिया कि असली सुंदरता तब आती है,
जब इंसान खुद को स्वीकार करता है — अपनी कमज़ोरियों, अपनी खूबियों, सबके साथ।
🌷 निष्कर्ष: हर प्रिया के लिए एक संदेश
हम सबके भीतर एक “प्रिया” होती है —
जो दूसरों की खुशियों में इतना खो जाती है कि खुद को भूल जाती है।
पर याद रखिए,
“जब आप खुद को खुश करने लगते हैं, तभी आपकी दुनिया भी सुंदर लगने लगती है।”
Self-love कोई luxury नहीं, बल्कि ज़रूरत है।
खुद के लिए वक्त निकालिए, अपने मन की सुनिए,
क्योंकि आपकी मुस्कान की असली चमक वहीं से आती है — अंदर से।
Disclaimer:
यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है। इसमें वर्णित पात्र, घटनाएँ या स्थान केवल प्रेरणात्मक उद्देश्यों के लिए हैं। किसी वास्तविक व्यक्ति या घटना से इसका कोई संबंध नहीं है।
